अशोक महान – एक सम्राट की परिवर्तन यात्रा (From Chand-Ashok to Dharma-Ashok)

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इतिहास में कुछ ऐसे शासक हुए हैं जिनकी जीवन यात्रा न केवल राजनैतिक दृष्टि से अद्भुत थी, अपितु आध्यात्मिक और नैतिक रूप से भी प्रेरणादायक रही। ऐसे ही एक शासक थे — सम्राट अशोक महान (Ashoka the Great)

उनकी कथा, हिंसा से अहिंसा, युद्ध से धर्म और सत्ता से सेवा की ओर एक विलक्षण परिवर्तन की कहानी है। जिसका साम्राज्य इतना बडा था की कोई भी दुश्मन युद्ध करने से पहले ही हार मान ले | उसकी सेना इतनी बड़ी थी जैसे लगता था नदियों को पी कर सुख दे


👑प्रारंभिक जीवन और सत्ता में आगमन

अशोक का जन्म ईसा पूर्व 304 के आसपास मौर्य वंश के सम्राट बिंदुसार के पुत्र के रूप में हुआ। प्रारंभ में वे अत्यंत साहसी, महत्वाकांक्षी और युद्धप्रिय थे। कहते हैं कि वे बचपन से ही बुद्धिमान थे लेकिन क्रूरता भी उनमें प्रबल थी।

उनका सत्ता में आगमन भी सहज नहीं था — उन्हें अपने भाइयों को हराकर सम्राट बनना पड़ा। यहीं से उनका युद्धों से भरा शासन प्रारंभ हुआ।


⚔️ कलिंग युद्ध – जीवन का निर्णायक मोड़

ईसा पूर्व 261 में अशोक ने कलिंग राज्य पर आक्रमण किया।
इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए, हज़ारों घायल हुए और पूरा कलिंग प्रदेश विनाश की चपेट में आ गया।

📜 ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार:

“100,000 से अधिक लोग मारे गए, 150,000 बंदी बनाए गए और लाखों लोग प्रभावित हुए।” पूरी धरती लहूलुहान हो गई |

यह विनाश का दृश्य देखकर अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ। वे सोच में डूब गए —

“क्या यही है सच्चा राजधर्म?”


🧘🏼बौद्ध धर्म की ओर झुकाव

कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने हिंसा का त्याग कर दिया और बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने:

  • बौद्ध भिक्षुओं से शिक्षा ली
  • धर्म प्रचार हेतु धम्म यात्राएं शुरू की
  • “धम्म महा-मात्र” नियुक्त किए
  • विदेशों तक शांति और नैतिकता का संदेश भेजा (जैसे श्रीलंका, म्यांमार, अफगानिस्तान)

उनका जीवन अब चक्रवर्ती सम्राट से धर्मचक्र प्रवर्तक की ओर बदल चुका था।


🦁 अशोक के शिलालेख – एक अनोखी विरासत

अशोक ने अपने संदेशों को शिलालेखों (Rock Edicts) और स्तंभों (Pillars) के माध्यम से पूरे राज्य में स्थापित करवाया।

इन शिलालेखों में उन्होंने:

  • दया, क्षमा, अहिंसा का संदेश दिया
  • प्रजा को धर्म और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी
  • पशुबलि का विरोध किया

लौह स्तंभ, सारनाथ स्तंभ, और अशोक चक्र आज भी उनकी महानता की गवाही देते हैं।


आधुनिक भारत में अशोक की पहचान

  • भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जो चक्र है, वह “अशोक चक्र” है।
  • राष्ट्रीय प्रतीक – चार सिंहों वाला स्तंभ – भी अशोक द्वारा बनवाया गया था।
  • उनकी नीतियाँ आज भी प्रशासनिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक हैं।

📜 निष्कर्ष

सम्राट अशोक की गाथा केवल एक शासक की नहीं, बल्कि एक मनुष्य की आत्मजागृति और रूपांतरण की कथा है।
वे इस बात का प्रतीक हैं कि असली महानता सिर्फ सत्ता में नहीं, अपितु संयम, करुणा और सत्य के पालन में है।

पूरे भारत के इतिहास मे ऐसा महान राजा कोई दूसरा नहीं हुवा

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